जंग में जीत की भूख
लघु कथा -**जंग में जीत की भूख**
आतंकवादियो ने स्कूल पर बम विस्फोट कर दिया जिससे पच्चीस बच्चे मारे गए और पंद्रह बुरी तरह घायल हो गए ।स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई।पूरे क्षेत्र में अफरा तफरी मच गई। आनन फानन में एंबुलेंस बुलाई गई ।पूरी हॉस्पिटल की टीम मौके पर पहुंच कर घायल बच्चो का प्राथमिक उपचार कर एंबुलेंस द्वारा विशेष इलाज हेतु अस्पताल भेजने लगे।मारे गए बच्चो को भी अस्पताल भेजा गया।तभी पुलीस प्रशासन की टीम मिडिया और सेना की पांच बटालियन पहुंच गई।
वहा का हालत देखकर लेफ्टिनेंट अमर नाथ पाण्डेय का खून खौल उठा। हवलदार मेजर श्याम देव पंडित ने कहा _सर इन आतंकियों को चुन चुन कर मारा जायेगा ।गुस्से से उसका बदन कांपने लगा था। अमर नाथ ने कहा वो तो आज ही करेंगे एक भी चूहा बचने नहीं पाएगा लेकीन इतनी चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी ये सुअर की औलाद कैसे हमला करने में सफल रहे । जरुर इसमें इनका कोई लोकल खुफिया होगा जिसे पता होगा कब सुरक्षा ढीली होती है ।उसने उन्हें पूरा रूट मैप और प्लान बताया होगा ।पहले उनकी भी तलाश करनी होगी । तब तक क्षेत्र के विधायक, सांसद और सरकार के कई पदाधिकारी भी पहुंच गए ।मिडिया वाले चीख चीख कर रिपोर्ट कर रहे थे भारतीय सेना और लोकल पुलिस की इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावयूद भी इतनी बड़ी हृदय बिदारक घटना घटी है।मासूम बच्चों की लाशे चारो तरफ बिखरी पड़ी है।
तभी लेफिटनेंट पाण्डेय को उनके फोन पर मेसेज आया।पांडेय ने श्याम देव से कहा जल्दी चलो कैंप से मेसेज आया है तुरंत पहुंचना है।दोनो ने तीन बटालियन को वही छोड़कर दो बटालियन को साथ लेकर निकल गए।रास्ते में एक जंगल का रास्ता था जिसके मुहाने पर पहुंचते ही पाण्डेय जी की सेना की गाड़ी के आगे दो बम धमाके हुए ।श्याम देव दूसरी गाड़ी में था ।उसने तुरंत अपनी गाड़ी को रुकवा दिया और गाड़ी से कूद पड़ा।गाड़ी से ऑटोमेटिक रायफल निकाल कर दौड़ता हुआ लेफ्टिनेंट पाण्डेय जी के पास पहुंचा और बोला सर लगता है अतंकतकवादी इधर ही छुपे हुए हैं।नही मुझे नही लगता है वे लोग इधर होंगे पहले चलो जहा बिस्फोट हुआ है उसको चेक करते हैं।दोनो विस्फोट की जगह पर गए ।वहा कुछ तार के टुकड़े बिखरे हुए थे और जमीन पर बडा बडा गड्ढा बना हुआ था।ये देखो यहां लैंड माइंस बिछाकर विस्फोट किया है।ये लोग दूर जंगल में कही से छिपकर विस्फोट किया है ।पांडेय जी ने अपना अंदाजा बताया।
हो सकता है सर आप सही कह रहे हैं सर लेकिन घटना बिल्कुल ताजी है वे लोग ज्यादा दूर नहीं गए होंगे ।आप कैंप जाने से पहले और बटालियन मंगा ले और अभी से सर्च अभियान शुरू करते है ।जबतक एक एक कुत्तों का सफाया नही कर लेंगे मुझे चैन नहीं मिलेगा ।आप फौरन आदेश ले ले । श्याम देव ने दांत पीसते हुए कहा।
लेफ्टिनेंट ने तुरंत वहा के हालात के बारे में बताया और पांच बटालियन तुरंत भेजने को कहा ।
पांडेय जी ने कहा श्याम देव तुम एक बटालियन के कामडिंग ऑफिसर होगे। बाकी बटालियन का सी ओ मैं सबके आने पर तय करता हूं।
श्याम देव ने अपने ऑफिसर का आदेश पाते ही अपनी टीम के जवानों को लेकर पूरी तैयारी के साथ जंगल की ओर कूच कर गया।
पांडेय जी ने कहा श्याम देव जोश में होश मत खोना खुद को और अपनी टीम को बचाते हुए ऑपरेशन को सफल बनाओगे ।श्याम देव ने जोर जोरदार आवाज में दहाड़ते हुए कहा यस सर।उसकी आंखो से जैसे खून टपक रहा था। उसपर जुनून सवार बा था ।ऐसा लग रहा था जैसे आतंकी उसकी पकड़ में आ जाएं तो वो उनको कच्चा चबा जाएगा ।
वो अपनी टीम को लेकर बड़ी सावधानी से फूंक फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहा था ।उसने अपने जवानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा _ ,हम हिंद की सेना है ।हम हार नहीं मानते ।अंतिम सांस तक दुश्मनों के छक्के छुड़ाते है।सबको अंतिम सांस तक लडना है।ध्यान रहे दुश्मन के हाथ नहीं आना है।ऐसे हालात में अंतिम गोली हम खुद अपने सीने पर मरेंगे मगर दुश्मन के हाथ नहीं आयेंगे।उसने अपने जवानों को बंट कर आगे बढ़ने को कहा । जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की ढाल भी बनना है।
थोड़ी ही देर में सेना की और पांच बटालियन ने आकर लेफिनेट पाण्डेय को रिपोर्ट किया। पाण्डेय ने सभी बटालियन का एक कमाडिंग ऑफिसर बना कर बताया आप लोगो को श्याम देव की बटालियन को भी कबर करना है वो बड़ा बहादुर और जोशीला है कहीं दुश्मनों के हाथ न लगने पाए।वो हमारे लिए एक प्रेरणा है ।साथ में दुश्मनों का भी सफाया करना है।
करीब एक घंटे जंगल की खाक छानने के बाद श्याम देव को जंगल में कुछ हलचल सुनाई दी।उसने तुरंत अपनी दूरबीन से देखा करीब पचास की संख्या में दुश्मन पूरे हथियार के साथ एक खाली जगह पर बैठे नजर आए और एक उनका लीडर फोन पर किसी से बात करता नजर आया।
श्याम देव ने अपने जवानों से कहा तुम लोग अपनी पोजीशन ले लो जैसे ही मैं फायरिंग करूं तुम लोग भी हमला बोल देना लेकिन ध्यान रहे सबको अपनी पीजीसन बदलते रहनी है ताकि दुश्मन को तुम्हारी पोजीसन का पता न चल पाए और उसे अधिक संख्या में जवान होने का भ्रम बना रहे।किसी को भूख लगी हो तो पहले अपने बैग में रखे खाने का सामान खा सकता है।मुझे तो जंग जीतने की भूख है ।
श्याम देव जमीन पर रेंगता हुआ दुश्मनों के काफी करीब पहुंच गया।अपनी पोजीसन लेकर उसने लेटे ही निशाना लगाकर फायरिंग शुरू कर दिया।कई दुश्मन अचानक हमला से वही ढेर हो गए ।लेकिन अब वे सतर्क हो गए थे।सबने अपनी पोजीसन ले लिया और जवानों पर फायरिंग शुरू कर दिया।लेकिन उन्हें जवानों की सही पोजीसन का पता नही चल रहा था।कभी इधर कभी उधर से फायरिंग हो रही थी ।कई घायल होकर चीखने लगे ।
जंगल में लगातार गोलियां चलने की आवाज गूंज रही थी।
श्याम देव भी अपनी जगह बदल बदल कर फायरिंग कर रहा था।उसका निशाना कमाल का था एक भी गोली खाली नहीं जा रही थी।हर गोली पर चीख सुनाई दे रही थी।
अचानक दुश्मन की गोलीबारी बंद हो गई।उसके जवानों की भी फायरिंग सुनाई नही दे रही थी।
तभी पीछे से उसके पीठ पर किसी ने रायफल की नाल चुभा दिया।वो शेर की तरह उछल कर पीछे पलटा लेकिन दस दुश्मनों ने उसे अपनी ए के फोर्टी सेवन रायफल की नोक पर ले रखा था।एक ने एक सिर पर रायफल के पिछले भाग से जोर से मारा उसकी आंखो से चिंगारिया निकलने लगी ।वो चकरा कर नीचे जमीन पर गिरने वाला था लेकिन इससे पहले उसने चिता को फुर्ती से उस रायफल वाले के पेट में अपने बूट से एक जोरदार प्रहार किया। वो चीख कर वही जमीन पर गिर पड़ा।
पांच दुश्मन को उसने अपने मुक्कों से मारकर जमीन सूंघा दिया। पता नही उसमे इतनी फुर्ती कहा से आ गई थी।
फिर अचानक वो उछाल मारकर जंगल में कूद कर कुछ दूर निकल गया और अपनी रायफल संभाल लिया। फायरिंग से उसने दो और दुश्मन को ढेर कर दिया।लेकिन तभी एक गोली उसके कंधे में आकर लगी दूसरी उसके एक पैर में उसके मुंह से जोरदार चीख निकलते निकलते रह गई।उसने अपने दर्द को सहते हुए अपना मुंह बंद कर लिया ताकि दुश्मन को उसका पता न चले।खून से लथपथ वो जमीन पर खुद को घसीटता हुआ एक पेड़ की आड़ में छिप गया।अपनी धुंधली होती आंखो से देखा दो दुश्मन उसकी टोह लेते आते नजर आए ।उसने अपनी ताकत जुटाकर एक को ढेर कर दिया तभी दूसरा पीछे से आकर उसे पकड़ लिया और एक चाकू उसकी गरदन पर रख दिया।इससे पहले की वो उसकी गर्दन काटता श्याम फुर्ती से पीछे घूम गया और उसका चाकू घुमाकर उसकी ही गर्दन में घुसा दिया ।वो वही ढेर हो गया।
श्याम देव अपना होश खोता चला गया।जब उसे होश आया तो उसने महसूस किया जोरदार बारिश हो रही थी।उसका शरीर हिल डुल नही पा रहा था।तभी उसने अधखुली आंखों से देखा कुछ कुत्ते उसकी तरफ बढ़ रहे थे।तभी उसके दिमाग ने काम किया उसने ट्रेनिंग में सुना था कुत्ते जिंदा आदमी को नही खाते है ।इसलिए किसी तरह अपनी अंगुली अपनी नाक पर रख देनी चाहिए ताकि उनको लगे आदमी जिंदा है।
उसने ऐसा ही किया ।उसने अपनी अंगुली को पूरी ताकत जुटाकर अपनी नाक पर रख दिया। कुत्तों को देखा तो वे चुपचाप वहा से लौट गए।फिर वो बेहोश होता चला गया।
चार दिनो बाद जंगल में श्याम देव को बेहोशी की हालत में पाया गया। अमरनाथ पाण्डेय की टीम लगातार उसे जिंदा या मुर्दा तलाश कर रही थी।उसके बाकी जवान घायल अवस्था में मिले थे ।लेकिन सारे दुश्मनों का सफाया हो चुका था।
एक सप्ताह के बाद उसे होश आया। अमरनाथ पाण्डेय ने उसको सैल्यूट किया और कहा जय हिंद । पाण्डेय जी ने उसकी बहादुरी की कहानी उसे सुनाकर कहा सेना को तुम पर नाज है।भगवान की कृपा से तुम मिल गए वर्ना मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाता।
तुमने बच्चो की हत्या का बदला दुश्मनों से ले ही लिया।
जय हिंद
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:26 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply